हँसो
हँसती रहो इसी तरह
तुम्हारे हँसने से होगी दुनिया रौशन
तनी मुट्ठियों का जवाब —
तुम्हारी हँसी
पूर्वजाओं के आंसुओं का प्रतिकार —
तुम्हारी हँसी
हम कायरों की कविता का मखौल —
तुम्हारी हँसी ।
–– सुनील श्रीवास्तव
नारी मुक्ति की दिशा में एक नयी पहल.
–– सुनील श्रीवास्तव
मनुष्य के कल्याण के लिए
पहले उसे इतना भूखा रखो कि वह औऱ कुछ
सोच न पाए
फिर उसे कहो कि तुम्हारी पहली जरूरत रोटी है
जिसके लिए वह गुलाम होना भी मंजूर करेगा
फिर तो उसे यह बताना रह जाएगा कि
अपनों की गुलामी विदेशियों की गुलामी से बेहतर है
और विदेशियों की गुलामी वे अपने करते हों
जिनकी गुलामी तुम करते हो तो वह भी क्या बुरी है
तुम्हें रोटी तो मिल रही है एक जून ।
–– रघुवीर सहाय