Saturday, October 12, 2024

लड़कियो ! हँसो

लड़कियो, सुनो
हँसो
हँसती रहो इसी तरह
तुम्हारे हँसने से होगी दुनिया रौशन
 
तनी मुट्ठियों का जवाब —
तुम्हारी हँसी
पूर्वजाओं के आंसुओं का प्रतिकार —
तुम्हारी हँसी
हम कायरों की कविता का मखौल — 
तुम्हारी हँसी ।

–– सुनील श्रीवास्तव

Thursday, October 10, 2024

गुलामी

 

 




 

मनुष्य के कल्याण के लिए

पहले उसे इतना भूखा रखो कि वह औऱ कुछ

सोच न पाए

फिर उसे कहो कि तुम्हारी पहली जरूरत रोटी है

जिसके लिए वह गुलाम होना भी मंजूर करेगा

फिर तो उसे यह बताना रह जाएगा कि

अपनों की गुलामी विदेशियों की गुलामी से बेहतर है

और विदेशियों की गुलामी वे अपने करते हों

जिनकी गुलामी तुम करते हो तो वह भी क्या बुरी है

तुम्हें रोटी तो मिल रही है एक जून ।

 –– रघुवीर सहाय