मुक्ति के स्वर
नारी मुक्ति की दिशा में एक नयी पहल.
Saturday, October 12, 2024
लड़कियो ! हँसो
लड़कियो
,
सुनो
हँसो
हँसती रहो इसी तरह
तुम्हारे हँसने से होगी दुनिया रौशन
तनी मुट्ठियों का जवाब —
तुम्हारी हँसी
पूर्वजाओं के आंसुओं का प्रतिकार —
तुम्हारी हँसी
हम कायरों की कविता का मखौल —
तुम्हारी हँसी ।
––
सुनील श्रीवास्तव
1 comment:
Onkar
October 19, 2024 at 3:58 AM
सुन्दर प्रस्तुति
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