स्त्रियाँ
गुजर
जाती हैं अजनबी से जंगलों से
जानवरों के भरोसे
जिनका सत्य वे जानती हैं.
सड़क के किनारे तख्ती पे लिखा होता है
सावधान, आगे हाथियों से खतरा है
जानवरों के भरोसे
जिनका सत्य वे जानती हैं.
सड़क के किनारे तख्ती पे लिखा होता है
सावधान, आगे हाथियों से खतरा है
और
वे पार कर चुकी होती हैं जंगल सारा.
फिर भी गुजर नहीं पातीं
स्याह रात में सड़कों और बस्तियों से
काँपती है रूह उनकी
कि
तख्तियाँ
उनके विश्वास की सड़क पर
लाल रंग से जड़ी जा चुकी हैं
कि
सावधान! यहाँ आदमियों से खतरा है...
फिर भी गुजर नहीं पातीं
स्याह रात में सड़कों और बस्तियों से
काँपती है रूह उनकी
कि
तख्तियाँ
उनके विश्वास की सड़क पर
लाल रंग से जड़ी जा चुकी हैं
कि
सावधान! यहाँ आदमियों से खतरा है...
चेताती
है स्त्री
मेरी
हदों को पार कर
मत आना तुम यहाँ
मुझमे छिपे हैं शूल और
विषदंश भी जहाँ.
मत आना तुम यहाँ
मुझमे छिपे हैं शूल और
विषदंश भी जहाँ.
फूल
है तो खुश्बू मिलेगी
तोड़ने के ख्वाब न रखना.
तोड़ने के ख्वाब न रखना.
सीमा का गर उल्लंघन होगा
काँटो की चुभन मिलेगी …
सुनिश्चित है मेरी हद
मैं
नही
मकरंद मीठा शहद ..
हलाहल हूँ मेरा पान न करना.
याद रखनामकरंद मीठा शहद ..
हलाहल हूँ मेरा पान न करना.
मर्यादाओं का उल्लंघन न करना.