ये हिन्दुस्तान है.....
यहाँ देवता वहीं बसते हैं, जहां नारी की पूजा होती है...ये अलग बात है की कभी – कभी देवता भी किसी विद्वान् मित्र
की पत्नी पर दिल आने पर भेष बदल कर उसका बलात्कार कर जाते हैं और पति के द्वारा
त्यागे जाने पर भी उसकी नैतिक जिम्मेवारी उठाने की हिम्मत नहीं कर पाते....ये
हिन्दुस्तान है जहां चौदह साल तक पति को परमेश्वर मान कर वन-प्रान्तर में साथ निभाने
वाली गर्भवती पत्नी को किसी की शिकायत पर सिर्फ अपनी “मर्दानगी” जताने और समाज पर पुरुष वर्चस्व
दिखाने के लिए निकाल दिया जाता है और उसकी खोज खबर नहीं ली जाती....क्योंकि इस
समाज में स्त्री को अपना पक्ष रखने की जगह ही नहीं दी गई है. यहां स्त्री के साथ
इस तरह के जघन्य अपराध करने के बाद पुरुष के सामाजिक बहिष्कार की परम्परा ही ना
रही है, बल्कि इस तरह की घटनाओं को मान्यता देने के लिए उसे किसी देवता और पौराणिक
कहानी को बहाना बनाया गया...... इनसे निर्मित होती है बलात्कार की सांघातिक
मनोवृत्ति....कि स्त्री आपकी, आपके लिए, आपके द्वारा है....
यहाँ द्रौपदी को पांच भाइयों में बिना उसकी सहमती के बाँट दिया जाता है और उसे
न्यायोचित सिद्ध करने के लिए कहानियों का तानाबाना बुना जाता है की:
१)
कुंती ने बिना देखे कह दिया
२)
द्रौपदी ने पांच बार एक ही व्रत मांगे थे.
३)
पांडव इन्ही व्रतों
के फलस्वरूप धरती पर आये इंद्र के अवतार मात्र थे.
पितृसत्ता को स्थापित करने के लिए इन कहानियों को “महाभारत” में गढ़अ गया है..
इनसे निर्मित होती है बलात्कार की
सांघातिक मनोवृत्ति....कि स्त्री आपकी, आपके लिए, आपके द्वारा है....
यहाँ अपनी पत्नी को दांव पर लगा देने की परम्परा है.....जहां राज्य का प्रमुख
अंधा दर्शाया जाता है जो सिर्फ यह कहता रहता है,”यह क्या हो रहा है, यह क्या हो रहा है”?
द्रौपदी को अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी पड़ती है..खुद ही प्राण लेने पड़ते
हैं....पूरा परिवार और राज्य मौन रहता है...
इनसे निर्मित होती है बलात्कार की सांघातिक मनोवृत्ति....कि स्त्री आपकी, आपके
लिए, आपके द्वारा है....
काश हम हिन्दुस्तानियों को सही गलत के बीच फर्क करना आता होता ....नारी को जागना ही होगा !
ReplyDelete