Thursday, January 9, 2020

बलात्कार का कारण कपड़े नहीं बलात्कारी सोच है


बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स में पिछले दिनों एक प्रदर्शनी लगी। प्रदर्शनी कपड़ों की थी। कपड़ों की ? तो इसमें खास क्या था ? आये दिन तो कपड़ों की प्रदर्शनी लगती रहती है। परन्तु इस प्रदर्शनी का विषय था–– “तुमने क्या पहना था ?” इसमें खास यह था कि यह प्रदर्शनी बलात्कार की शिकार बच्चियों और महिलाओं द्वारा बलात्कार के समय पहने गये कपड़ों की थी।
इन कपड़ों में छोटी बच्ची की फ्रॉक, सामान्य पैंट, शर्ट, सूट या रोज सामान्य रूप से पहने जाने वाले कपड़े थे। ये कपड़े प्रदर्शनी की टाइटिल या उन प्रश्नों के जवाब थे जो अक्सर बलात्कार की शिकार लड़की या महिला से पूछे जाते हैं–––” तुमने क्या पहना था ?” यह मान लिया जाता हैं कि लड़की ने भड़काऊ और छोटे कपड़े पहने होंगे जिससे बेचारा पुरुष उत्तेजित हो गया और उसने बलात्कार कर दिया! शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से क्षत–विक्षत हो चुकी महिला की ओर ही सारी उंगलियाँ उठती हैं, न कि अपराधी पुरुष की ओर, जबकि सच्चाई यह है कि बलात्कार के लिए सिर्फ एक आदमी जिम्मेदार है और वह है बलात्कार करने वाला पुरुष। 
यह प्रदर्शनी साबित करती है कि कपड़ों को लेकर लड़कियों और महिलाओं पर लगाये जाने वाले आरोप निहायत गलत हैं। प्रदर्शनी तैयार करने वाली वाली महिलाएँ पूछती हैं कि क्या ये कपड़े भड़काऊ हैं ? क्या लेगिंग टाइट है ? क्या टी शर्त छोटी है ? क्या किसी हिस्से से शरीर दिख रहा है ? क्या उसमें कोई उत्तेजक स्लोगन लिखा है ? नहीं न ? फिर, फिर कैसे महिला दोषी हुई ? ? 
कुछ दिन पहले अमरीका के कंसास विश्वविद्यालय में भी “तुमने क्या पहना था ?” शीर्षक से एक प्रदर्शनी लगी थी जिसमें बलात्कार की शिकार महिलाओं द्वारा पहने गये 18 कपड़े प्रदर्शित किये गये हैं। यह प्रदर्शनी विश्वविद्यालय की सेक्सुअल एसौल्ट प्रिवेंशन एण्ड एजुकेशन सेन्टर की देखरेख में तैयार की गयी है। यह प्रदर्शनी स्पष्ट तौर पर इस विचार को खंडित करती है कि पहनावों का बलात्कार से कोई सम्बन्ध होता है। वहाँ प्रदर्शित टी शर्ट और जींस, खाकीज, ड्रेस, बाथसूट (जो यूरोप में सामान्य है), बच्चे की ड्रेस, सभी चुपचाप इसी प्रश्न का जवाब दे रहे हैं और कह रहे हैं कि शरीर जितना भी ढका रहे, परिणाम एक ही रहा। 
बलात्कार की शिकार इन महिलाओं में से कुछ बहादुर महिलाएँ जब पुलिस में रिपोर्ट लिखवाने जाती हैं तो उनसे यही पूछा जाता है, “तुम क्या पहने थीं ?” मानो यह प्रश्न महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के समय के लिए आरक्षित है। तमाम पुरुष भी यौन उत्पीड़न से गुजरते हैं पर उनसे नहीं पूछा जाता कि वह क्या पहने थे ? 
प्रदर्शनी में बताया गया कि जब रेप की शिकार महिला से पूछताछ की शुरुआत होती है तो सबसे पहले उसके कपड़े, फिर शराब सेवन, उसके यौन इतिहास पर तो चर्चा होती है परन्तु बलात्कार का एकमात्र कारण, जिसे सबसे ज्यादा नजरअंदाज किया जाता है, वह है बलात्कारी और उसकी मानसिकता। 
इसी से मिलता–जुलता एक प्रदर्शन पिछले दिनों भारत के बंगलुरु शहर में भी हुआ। वहाँ कुछ नौजवान युवक–युवतियों ने बलात्कार के समय पहने गये कपड़ों को अपने कन्धों पर डण्डों में टांग कर शहर में जुलूस निकाला ताकि लोगों को बताया जा सके कि इन भरे–पूरे कपड़ों, शरीर को पूरी तरह ढकने वाले इन कपड़ों को पहनने के बावजूद बच्चियों, लड़कियों और महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ। यानी बलात्कार का कारण कपड़े नहीं, बलात्कारी और पुरुष मानसिकता है जो महिलाओं को भोग की वस्तु के अलावा कुछ समझती ही नहीं। 
ये प्रदर्शन चीख–चीख कर कह रहे थे कि बलात्कार का दोष महिलाओं पर मढ़ देना बन्द करो। वक्त आ गया है कि पुरुषों को ही अपनी मानसिकता बदलनी होगी, औरतों को देखने का अपना सदियों पुराना नजरिया बदलना होगा। और हर ऐसी नीति, विचार, संस्कार, व्यवस्था जो औरत को मात्र शरीर और वस्तु मानती है, उसे बदलना होगा।  
– आरिफा 

No comments:

Post a Comment