Monday, September 9, 2024

गाजा पर इजरायली हमला और महिलाएँ

 


जब मैं युद्ध से लौटूँ, अगर मैं लौट पाऊँ,

मेरी आँखों में मत देखना, मत देखना वह सब जो मैंने देखा। 

इजरायल द्वारा फिलीस्तीन पर लगातार हमलों और वहाँ के नागरिकों पर बर्बर अत्याचार का इतिहास यूँ तो पुराना है, पर पिछले कुछ महीनों से जिस तरह इजरायल ने वहाँ हमले किये हैं और फिलिस्तीनियों को नेस्तनाबूद करने और उसकी आने वाली नस्लों को ही हमेशा के लिए खत्म कर देने का जो वहशी अभियान छेड़ा है उसने इनसानियत की सारी हदें पार कर दी हैं। उसने युद्ध के अन्तरराष्ट्रीय नियमों के परखच्चे उड़ा दिये हैं। लगभग छह महीने से गाजा में इजरायली सुरक्षाबलों और हमास के बीच संघर्ष जारी है। ‘मिडिल ईस्ट आई’ की रिपोर्ट के हवाले से ‘हमास’ द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार जून तक गाजा पट्टी पर इजरायली हमलों में फिलिस्तीनियों की मौत की संख्या बढ़कर 36,731 हो गयी है, जबकि 83,530 लोग घायल हो गये हैं। इन हमलों में 70 प्रतिशत बच्चे, महिलाएँ और बुजुर्ग हैं। एशियानेट के अनुसार यहाँ हर 10 मिनट पर 6 बच्चे मारे जा रहे हैं। लैंगिक समानता और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कार्यरत संयुक्त राष्ट्र की इकाई ‘यू एन वूमेन’ ने कहा है कि गाजा में अब तक लगभग 9000 महिलाओं को बेरहमी से मौत के घाट उतारा गया है। हर दिन औसतन 63 महिलाएँ मारी जाती होंगी। एक अनुमान के मुताबिक गाजा में हर दिन 37 माँओं की हत्या कर दी जाती है, जिससे उनके परिवार तबाह हो जाते हैं और उनके बच्चों की सुरक्षा कम हो जाती है। वे सिर्फ मारी ही नहीं जा रही हैं बल्कि युद्ध की विभीषिका झेलते हुए बल्कि रोज अपने मासूम बच्चों, पति या किसी और करीबी की मौत का मंजर देख रही हैं, अपने लाडलों की कब्र अपने हाथों बना रही हैं।


अधिकाँश महिलाएँ हर समय अपनों को खो देने के लगातार खौफ में जीती हैं। लगातर तनाव, असुरक्षित माहौल, भोजन और नींद की कमी ने उन्हें तमाम बीमारियों से ग्रस लिया है।

यू एन वूमेन’ के अनुसार लगभग 84 प्रतिशत महिलाएँ यानी 5 में से 4 महिलाएँ बताती हैं कि उनका परिवार अब बहुत कम भोजन करता है। महिलाओं का कहना है कि परिवार के लिए भोजन का जुगाड़ करना उनके ही जिम्मे होता है, इसलिए वे इजरायली सैनिकों से बचते–बचाते भोजन का इन्तजाम करती हैं, जो पूरे परिवार के लिए नहीं हो पाता, इसलिए परिवार का हर सदस्य थोड़ा–थोड़ा भोजन खाता है। 87 प्रतिशत यानी लगभग 10 में से 9 महिलाएँ पुरुषों की तुलना में भोजन का बन्दोबस्त करने में बहुत परेशानी झेलती हैं।

 5 में से 4 महिलाओं ने यह बताया है कि उनके परिवार के कम–से–कम एक सदस्य ने बीते हफ्ते में भोजन छोड़ा है। ये उनकी मर्जी नहीं बल्कि भोजन न होने के चलते उनकी मजबूरी है। इनमें से 95 प्रतिशत मामलों में घर की महिलाएँ कई दिनों तक कुछ भी नहीं खातीं, क्योंकि वे लाया गया भोजन अपने बच्चों को खिला देती हैं। ताकि बच्चे कम–से–कम एक वक्त का खाना तो ढंग से खा पाएँ। कई बार तो उन्हें कूड़ेदान या मलबों में से भोजन ढूँढना पड़ता है।

कई रिपोर्टों के अनुसार युद्ध क्षेत्र में मासिक धर्म का समय महिलाओं और लड़कियों के लिए भारी गुजरता है। लगातार बमबारी, ध्वंस होते घर, सेनेटरी नैपकिन और कपड़ों और पानी का भयंकर अभाव उनमें और बीमारियाँ पैदा करता है। अक्सर वे मासिक धर्म रोकने की दवा खाती हैं (अगर उपलब्ध हुई)।

मिडिल ईस्ट आई’ की रिपोर्ट के अनुसार गाजा में लगातार महिलाओं और लड़कियों को तलाशी के नाम पर कपड़े उतारने पर मजबूर करना, यौन हिंसा के अन्य कुत्सित रूप और बलात्कार का शिकार बनाना जारी है।

गाजा में जो कुछ चल रहा है वह जघन्य अपराध है। नस्लवादी नफरत, क्षेत्रीय दादागिरी और हथियारों की बिक्री का अनन्त लालच इस युद्ध को जारी रखने के कारण हैं। इन कारणों को जल्दी से जल्दी दफन हो जाना चाहिए।

–– आशु वर्मा

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1 comment:

  1. well written Ashu! is tarah ke or lekho ko public platforms pr dal kr logo tk jyada se jyada pahuchane ki jaroorat hai.

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