Saturday, March 2, 2019

धर्म के नाम पर महिलाओं का उत्पीड़न

पिछले कुछ सालों से हमारे समाज में बलात्कार की घटनाएँ तेजी से बढ़ी हैं। समाचार पत्र बलात्कार की घटनाओं से भरे रहते हैं। इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम देने वाले लोग सभी धर्मों, वर्गों और जातियों के होते हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों से धार्मिक बाबाओं और मौलवियों के द्वारा किये जा रहे बलात्कार की घटनाएँ तेजी से बढ़ी हैं।
भारतीय समाज हमेशा से ही महिलाओं के लिए असुरक्षित रहा है। परन्तु कुछ समय से धर्म के नाम पर शोषणउत्पीड़न की जैसी घटनाएँ सामने आ रही हैं, वह चैंकाने वाली हैं। आसाराम, गुरमीत राम रहीम, सतपाल बाबा यह सब ऐसे नाम हैं जो पिछले कुछ सालों में सुर्खियों में रहे। आठ साल की बच्ची आसिफा के साथ कठुआ के मन्दिर में किया गया बर्बर बलात्कार किसी से छिपा नहीं है। कोई एक धर्म नहीं, बल्कि सभी धर्मों के ठेकेदार धर्म गुरु इन जघन्य वारदातों में लिप्त पाये गये हैं।
अक्टूबर 2018, दिल्ली हाईकोर्ट में धार्मिक गुरु दाती महाराज के खिलाफ बलात्कार का मामला आया। 25 साल की पूर्व शिष्या ने बताया कि दाती महाराज ने अपने दो चेलों के साथ उसका बलात्कार किया और इसके बारे में किसी को न बताने की धमकी भी दी। महिला ने यह भी बताया कि दिल्ली और राजस्थान के आश्रमों में भी उसके साथ बलात्कार किया गया था। एक अन्य महिला इन कुकृत्यों में दाती महाराज का साथ देती थी और उसको महाराज के अलावा कमरे में अन्य चेलों से भी जबरन सम्बन्ध बनाने के लिए मजबूर किया जाता था। 
इसी तरह की एक और घटना जुलाई 2018 में केरल में घटी। वहाँ की एक नन ने जालंधर स्थित डायोसीस कैथोलिक चर्च के बिशप के खिलाफ अपने साथ हुए दुराचार के मामले में बताया कि बिशप ने 13 बार उसका यौन उत्पीड़न किया। नन ने केरल के तत्कालीन चर्च प्रमुख कार्डिनल मार जॉर्ज अलेनचेरी से जब इसकी शिकायत की तो चर्च की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई। आखिरकार उसको पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज करानी पड़ी। जब पुलिस द्वारा बिशप के खिलाफ कार्रवाई की गयी, तो बिशप ने नन पर ही आरोप लगाया कि वह उसको झूठे आरोप में फँसा रही है।
मार्च 2018 में फिर रोंगटें खड़े कर देने वाली एक घटना सामने आयी। नरेला इलाके में, बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के रहने वाले 70 वर्षीय मौलवी ने एक 9 वर्ष की बच्ची के साथ बलात्कार किया। मदरसे में वह छोटे बच्चों को तालीम देता था। उसने बच्ची को डराधमका दिया था कि अगर किसी को कुछ बताया तो उसको जान से मार देगा। मामले का खुलासा तब हुआ जब बच्ची के पेट में दर्द हुआ और यौनांग से खून बहने लगा, तब उसने अपनी पूरी आपबीती सुनायी।
धर्म के इन ठेकेदारों द्वारा अंजाम दी जाने वाली इस प्रकार की घटनाओं का मुख्य कारण अंधविश्वास है। देश की बहुसंख्य जनता गरीबी में अपना जीवन यापन कर रही है। अशिक्षा, बेरोजगारी और भुखमरी अपने चरम पर है। महँगाई इतनी बढ़ गयी है कि आम आदमी डॉक्टरों से इलाज कराने के बजाय इन बाबाओं के पास जाने को मजबूर हो जाता है और इसी बात का फायदा ये बाबा उठाते हैं। अगर हम अपने आसपास देखें तो हमारे घर परिवारों तथा चारों और लड़कियों को घर से बाहर निकलने के लिए रोका जाता है और दूसरी तरफ तांत्रिकों और बाबाओं के पास भेज दिया जाता है, जहाँ उनके साथ इस तरह की घटनाएँ होती हैं।  
जब कोई व्यक्ति किसी समस्या से ग्रसित होता है, तो वह उसके कारणों को पता करने की कोशिश नहीं करता, बल्कि किसी चमत्कार की कामना करता है। इसी कारण वह इन बाबाओं के झाँसे में आ जाता है। बाबा और तांत्रिक सबसे पहले लोगों की समस्याओं को सुनते हैं और फिर कमजोरी को पकड़ते हैं। इसी कमजोरी को ढाल बनाते हुए वे लोगों का शोषण करते हैं, उनकी लड़कियों का शोषण करते हैं, उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार करते हैं। कई बार सन्तान प्राप्ति के नाम पर भी महिलाएँ इन्हीं बाबाओं द्वारा शोषण का शिकार होती हैं।
अंधविश्वास बढ़ाने में टीवी चैनलों और अखबारों का पूरा योगदान होता है। पूरे दिन टीवी पर अंधविश्वास बढ़ाने वाले कार्यक्रम, जैसे–– राशिफल, धन वर्षा यन्त्र आदि प्रसारित किये जाते हैं। वैज्ञानिक नजरिये को खत्म किया जाता है। यदि इस प्रकार की घटनाओं को रोकना है तो समाज में वैज्ञानिक नजरिये का प्रचारप्रसार करना होगा। अंधविश्वास के खिलाफ संघर्ष करना होगा तथा तर्कशीलता और वैज्ञानिक विचारों को बढ़ावा देना होगा।   
–– कुमकुम
(मुक्ति के स्वर अंक 21, मार्च 2019)

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