गुजर जाती हैं अजनबी से जंगलों से
जानवरों के भरोसे
जिनका सत्य वे जानती हैं.
सड़क के किनारे तख्ती पे लिखा होता है
सावधान, आगे हाथियों से खतरा है
और वे पार कर चुकी होती हैं जंगल सारा.
फिर भी गुजर नहीं पातीं
स्याह रात में सड़कों और बस्तियों से
काँपती है रूह उनकी
कि
तख्तियाँ
उनके विश्वास की सड़क पर
लाल रंग से जड़ी जा चुकी हैं
कि
सावधान! यहाँ आदमियों से खतरा है.
--डॉ नूतन
वाह
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 30/03/2019 की बुलेटिन, " सांसद का चुनाव और जेड प्लस सुरक्षा - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ।
ReplyDeleteसटीक रचना
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