Thursday, October 10, 2024

गुलामी

 

 




 

मनुष्य के कल्याण के लिए

पहले उसे इतना भूखा रखो कि वह औऱ कुछ

सोच न पाए

फिर उसे कहो कि तुम्हारी पहली जरूरत रोटी है

जिसके लिए वह गुलाम होना भी मंजूर करेगा

फिर तो उसे यह बताना रह जाएगा कि

अपनों की गुलामी विदेशियों की गुलामी से बेहतर है

और विदेशियों की गुलामी वे अपने करते हों

जिनकी गुलामी तुम करते हो तो वह भी क्या बुरी है

तुम्हें रोटी तो मिल रही है एक जून ।

 –– रघुवीर सहाय

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