उत्तरप्रदेश अब रामराज्य बन चुका है। यहाँ भगवान राम के रूप में योगी अवतरित हुए हैं। उनके अनुसार राज्य में अपराध खत्म हो चुके हैं। पहले लड़कियों को घर से निकलने में डर लगता था लेकिन अब बैल भी अपने को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। अब अपराधी खुद थाने में आकर अपने अपराधों को कबूल करते हैं और सजा पाते हैं। महिलाओं से सम्बन्धित अपराधों में कमी आयी है। उनके अनुसार रामराज्य में पहले इनसान तो क्या जानवर भी सुरक्षित नहीं थे लेकिन अब सभी सुरक्षित हैं। वे अपराधों को रोकने के लिए वो हर सम्भव प्रयास कर रहे हैं जो वे कर सकते हैं। अलीगढ़ में, एक सभा को सम्बोधिात करते हुए देश के प्रधान सेवक ने भी कहा कि योगी के रामराज्य में महिलाएँ ज्यादा सुरक्षित हुई हैं।
ऊपर दिए गये बयान सच्चाई से कितना मेल खाते हैं? आइये, देखने की कोशिश करते हैं। एनसीआरबी के अनुसार ऐसा कोई दिन नहीं जाता जिस दिन इस रामराज्य में लड़कियों की इज्जत से न खेला जाता हो।
हाथरस केस में एक दलित लड़की के साथ सरकार–परस्त दबंगों ने बलात्कार किया। पुलिस और आला अधिकारी बलात्कार की घटना को झुठलाते रहे। कुछ दिनों बाद पीड़िता की मौत हो गयी लेकिन उसे न्याय नहीं मिला। पीड़िता का शव परिवार को न देकर खुद ही आग के हवाले कर दिया गया। परिवार के लोग अपनी बेटी का अन्तिम बार चेहरा भी न देख सके। इसके बावजूद छुटभैया नेता, राज्य के सरकारी, गैर–सरकारी गुण्डे और पुलिस प्रशासन पीड़ित परिवार को धमकाते रहे और परिवार वालों पर केस वापस लेने का दबाव बनाते रहे। बाद में सीबीआई की जाँच में साबित हुआ कि जघन्य बलात्कार हुआ था।
बदायूँ में 55 वर्षीय महिला पूजा करने के लिए मन्दिर गयी। उस महिला के साथ उस मन्दिर के पुजारी ने ही बलात्कार किया। उसके साथ दरिन्दिगी की सभी हदें पार कर दी गयीं। पुलिस प्रशासन भी आरोपियों का ही साथ देता रहा।
इस राज्य की पुलिस की भाषा और आचरण महिलाविरोधी है। पुलिस कर्मियों द्वारा ऐसा माहौल बनाया जाता है जिसमें पीड़िता को लगता है कि मानो वही अपराधी हो। पीड़िता की रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की जाती। पुलिस केस वापस लेने की धमकी देना शुरू कर देती है। अपराधियों की ताकत का गुणगान करती है। अगर किसी तरह से रिपोर्ट दर्ज हो भी जाये तो रिश्वत में मोटी रकम की माँग की जाती है।
कहा जा सकता है कि महिलाओं को सुरक्षित होना है तो उनको जन्म लेने से बचना होगा। वे केवल उन 9 महीनों तक ही सुरक्षित रह सकती हैं जब वे अपनी माँ के पेट में हों।
सच यह है कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं को सुरक्षा देने वाली व्यवस्थाओं और योजनाओं को बन्द किया जा रहा है। इसके लिए हम महिला हेल्पलाइन ‘181’ को ले सकते हैं। इस हेल्पलाइन का उद्देश्य महिलाओं को तंग करने वाले अपराधियों को रोकना था, तत्काल महिलाओं को सुरक्षा मुहैया कराने का था। इस हेल्पलाइन में लगभग 365 महिला कर्मचारी काम करती थीं। इन्हें लगभग 15 महीनों से वेतन नहीं दिया गया। इन्होंने अपनी समस्या को अपने आला अधिकारी, सम्बन्धित मंत्री और मुख्यमंत्री के सामने रखा। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। फिर इन्होंने कई दिनों तक लखनऊ में आन्दोलन किया। इनमें से एक आन्दोलनकारी को आर्थिक तंगी के चलते आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ा। इसके बावजूद सरकार ने बिना नोटिस दिये हेल्पलाइन बन्द कर दिया। उन महिलाओं के वेतन का क्या हुआ कुछ पता नहीं। वे अपना जीवन कैसे गुजार रही होंगी इसका हम अन्दाजा भी नहीं लगा सकते। आप समझ सकते हैं कि राज्य सरकार महिलाओं के प्रति कितना सम्वेदनशील है?
रामराज्य का इतिहास देखेंगे तो हम पाएँगे कि वह महिला विरोधी थी। उस समय सीता को अपने चरित्र की पवित्रता साबित करने के लिए अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी। लेकिन राम ने ऐसी कोई परीक्षा नहीं दी थी। उस समाज में तय था पुरुष जन्म से मरने तक हमेशा पवित्र होते हैं। इसलिए वह राज्य पुरुष हितैषी था। बाकी आप आज के रामराज्य की तस्वीर से तुलना कर सकते हैं। आप पाएँगे कि यह सरकार कहीं ज्यादा महिला विरोधी है।
हालाँकि दुनिया दुखों से भरी है, लेकिन यह उससे उबरने की कहानियों से भी भरी हुई है–––
–हेलेन केलर (वे स्वयं अंधी, गूंगी और बहरी थीं परन्तु एक महान लेखिका और सामजिक कार्यकर्ता थीं)
–– प्रीति
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