Wednesday, December 6, 2023

मेरा देश नग्नता का आदी है...

 

मेरा देश नग्नता का आदी है
सुना है,
यहाँ जुए में भेंट चढ़ी द्रौपदी को नग्न कर
वहशी सत्ता हँसते–हँसते लोट–पोट हो गयी थी
 
इतिहास गवाह है
यहाँ जमीन के टुकड़े से लेकर
जागीर लूटने तक का जश्न
औरतों की अस्मिता को लूटकर मनाया जाता रहा है
 
यहाँ शरीर से लेकर
सम्पत्ति की ताकतों का प्रदर्शन करने के लिए
परिवार की इज्जत धूमिल करने के लिए
भाई की नाक काटने
और पिता की पगड़ी उछालने के लिए
केवल स्त्री ही नहीं
बल्कि पुरुषों का अहंकार तोड़ने के लिए भी
मात्र स्त्री की आबरू उतार फेंकना
पर्याप्त माना गया है
 
यहाँ बड़े–बड़े युद्धों की शुरुआत
और उनकी समाप्ति
औरतों को निर्वस्त्र कर
उनकी नंगी लाश को नोंचकर होती रही है
 
यहाँ जंगल बचाने निकलीं
आदिवासी और पहाड़ी औरतें
लूट की संस्कृति द्वारा इस कदर नग्न की गयी
कि कभी वापिस नहीं लौट सकीं
 
यहाँ पत्थरों को
कपड़ों और आभूषणों से सजाया गया
और जिन्दा इनसानों को
डराने–धमकाने
दबाने–झुकाने
और खामोश करने के लिए
समय–समय पर नंगा दौड़ाने की बात होती रही है
 
इस देश में सदियों से नजरें और नीयत
लूट और वहशियत की गिरफ्त में रही हैं
इसलिए यह देश अब नंगेपन का आदी हो चुका है
 
लेकिन इतनी सारी नग्नताओं के बावजूद भी
इस देश को नागवार हैं,
नंगी तलवार–सी वे औरतें
जो चैराहे पर खड़ी होकर दहाड़ रही हैं
जो डरपोक और दब्बू नहीं हैं।
मेघा, रामनगर

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